Friday, April 29, 2011

नौकरशाही और भ्रष्टाचार..........

समूचे देश में भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाकर स्वर्गलोक की वैतरणी पार करने वालों की फ़ेहरिस्त दिन प्रति दिन लम्बी होती जा रही है। प्रशासन की पारदशर््िाता और नियम कायदों से कामकाज का ढोल पीटने वाली सरकारों के ऐन नाक के नीचे नौकरशाहों के सरकारी बंगलों से करोडों के नोट मिलना साफ बताता है कि किस तरह आम जनता की गाढी कमाई से नये दौर के धनकुबेर पैदा हो रहे है। एक तरफ देश के हुक्मरान आम जनता से भ्रष्टाचार से मुक्त समाज बनाने की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ नौकरशाह उन्हीं हुक्मरानों की हमजोली बन कर सरकारी खजाने को अपनी मिल्कियत में बदलने के खेल में मशगूल है। सरकारी समान की खरीद फ़रोख्त नौकरशाहों का सबसे पसंदीदा आदत बन गया है। नियमों कों ताक पर रख कर आला अफ़सर सप्लायर और निर्माताओं से मिलकर जमकर कमीशनखोरी में जुटें है। सरकारी खजाने की खुली लुट में अफ़सर, नेताओं और ठेकेदारों की तिजोरियां भर रही हैं और मुल्क की जनता का पेट खाली है।

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