रामलीला मैदान पर महाभारत क्यों.....................
रामदेव जी ये आपको पहले ही समझ लेना चाहिए था कि जिस व्यवस्था परिवर्तन के खिलाफ आपने एक जन आंदोलन छेडा है उसका अंजाम कुछ ऐसा ही होना था ये आज नई बात नहीं है बल्कि देष का इतिहास बताता है कि जब जब भी मुल्क में इस तरह के आंदोलन हुए है उनका दमन उतना ही बर्बर तरीके से किया गया गया है, जिसका सीधा उदाहरण जेपी आंदोलन है। 4 जुन से षुरु हुए बाबा रामदेव के सत्याग्रह का भी जिस तरह से पुलिस ने दमन किया है, वह बहुत ही निन्दनीय है। और कही न कही यह राजनीति से प्रभावित कदम लगता है, जिस तरह से रात के 1 बजे रामलीला मैदान में सो रहे बच्चों, महिलाओं और निहत्थे लोगों पर पुलिस ने लाठीयां बरसाई और आंसू गैस के गोले छोडे वह सरकार की तानाषाही और पुलिस की तालिबानी रवैये को ही दिखाती है। क्या भ्रश्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना गलत है? क्या इस देष में अपने हक हकुक की आवाज उठाने पर अब यही रवैया अपनाया जायेगा? इस पुरे मामले में सरकार और दिल्ली पुलिस की हताषा साफ दिखाई दे रही थी। सदैव अपके साथ सदैव आपके लिए तत्पर रहने वाली दिल्ली पुलिस का यह काला चेहरा है जिसने रात में सोते हुए लोगों पर लाठियां बरसाई। अगर कोई मुल्क की व्यवस्था परिवर्तन के लिए आवाज बुलंद करता है तो इसमें हर्ज क्या है। समाज में काई भी सकारात्मक परिवर्तन उस समाज के लोगों संकल्प षक्ति और कर्मठता कि बिना संभव नहीं है। अगर मुल्क में सकारात्मक परिवर्तन के लिए संकल्प षक्ति और कर्मठता अगर बाबा रामदेव दिखा रहे है तो मुझे नहीं लगता कि कोई गलत कार्य कर रहें है। हाई प्रोफाइल संस्कृति के अंतर्गत काम करते हुए व्यवस्था परिवर्तन के लक्ष्य को कभी पुरा नहीं किया जा सकता है लेकिन साथ ही साथ यह भी सच है कि असंगठित होकर अपने लक्ष्य को हासिल भी नहीं किया जा सकता, जिस काम को आज बाबा रामदेव ने बखुबी निभया है। कुछ सवाल मेरे जेहन में अभी भी अनुत्तरित है कि पुलिस जिसे बाबा के अनषन के बारे में पहले से ही पता था वह रात में एकाएक क्यों जागी? आखिर क्यों पुलिस ने रात में ही हमला बोला? बिना गिरफतारी वारंट के बाबा और उन हजारों लोंगों पर क्यों कहर बरपाया गया?
No comments:
Post a Comment